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"मिट्टी का जिस्म है तो ये मिट्टी में मिलेगा / डी .एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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मिट्टी का जिस्म है तो ये मिट्टी में मिलेगा
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रहमत  न  हो उसकी तो कौन पार लगेगा
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दुनिया  है इक सराय मुसाफ़िर हैं हम  सभी
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जाने के बाद  कौन किसे  याद  रखेगा 
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उसके सिवा हमारी  मदद  कौन  करेगा
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मासूम  परिंदे  पे आज  तीर    चला  ले
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मालूम  हो  तुझ  पर  भी कभी  तीर  चलेगा
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पत्थर की लकीरें  भी  मिटा  देते हैं  हालात
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अश्कों से लिखेगा जो  वही  हाथ  लगेगा
 
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21:55, 15 दिसम्बर 2022 के समय का अवतरण

मिट्टी का जिस्म है तो ये मिट्टी में मिलेगा
 एहसास हूँ मैं कौन मुझे दफ़्न करेगा

 तिरते हैं सफ़ीने जो समंदर में बेख़तर
 रहमत न हो उसकी तो कौन पार लगेगा

 दुनिया है इक सराय मुसाफ़िर हैं हम सभी
 जाने के बाद कौन किसे याद रखेगा

 कोई तो ख़ुदा है तभी ज़िंदा ग़रीब है
 उसके सिवा हमारी मदद कौन करेगा

 मासूम परिंदे पे आज तीर चला ले
 मालूम हो तुझ पर भी कभी तीर चलेगा

 पत्थर की लकीरें भी मिटा देते हैं हालात
 अश्कों से लिखेगा जो वही हाथ लगेगा