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"बवंडर उठ रहा है क्या तुम्हें इसकी ख़बर भी है / डी .एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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तबाही से डरे हैं लोग घबराहट इधर भी है
  
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मेरी मंज़िल मुझे आवाज़ देती है चले आओ
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उधर है डूबता सूरज इधर धुँधली नज़र भी है
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समझने बूझने में साल कितने ही गँवा डाले
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समय है कम हमें मालूम है लंबा सफ़र भी है
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ज़रा हिम्मत तो देखो अब सहारा वो मुझे देगा
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अभी कमसिन बहुत उसकी बड़ी पतली कमर भी है
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वहाँ खेती नहीं करता कोई खाता मगर अच्छा
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हमारे गाँव से कुछ दूर पर ऐसा नगर भी है
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बड़ी मीठी जुबाँ वाला मुझे इन्साँ मिला कोई
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मगर जब दिल खँगाला उसका तो निकला ज़हर भी है
 
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22:10, 15 दिसम्बर 2022 के समय का अवतरण

बवंडर उठ रहा है क्या तुम्हें इसकी ख़बर भी है
तबाही से डरे हैं लोग घबराहट इधर भी है

मेरी मंज़िल मुझे आवाज़ देती है चले आओ
उधर है डूबता सूरज इधर धुँधली नज़र भी है

समझने बूझने में साल कितने ही गँवा डाले
समय है कम हमें मालूम है लंबा सफ़र भी है

ज़रा हिम्मत तो देखो अब सहारा वो मुझे देगा
अभी कमसिन बहुत उसकी बड़ी पतली कमर भी है

वहाँ खेती नहीं करता कोई खाता मगर अच्छा
हमारे गाँव से कुछ दूर पर ऐसा नगर भी है

बड़ी मीठी जुबाँ वाला मुझे इन्साँ मिला कोई
मगर जब दिल खँगाला उसका तो निकला ज़हर भी है