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"फूल कनेर के / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'" के अवतरणों में अंतर
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05:19, 20 दिसम्बर 2022 का अवतरण
किसने रोके पाँव अचानक
धीरे-धीरे टेर के ।
उजले –पीले भरकर आए-
लो आँगन फूल कनेर के
दिन भर गुमसुम सोई माधवी
तनिक नहीं आभास रहा ;
घिरा अँधेरा खूब नहाई
सुरभि- सरोवर पास रहा ।
पलक बिछाए बिछे धरा पर
प्यारे फूल कनेर के।
बौराया मन चैन ना पाए
व्याकुल झुकती डाल –सा
पीपल के पत्ते-सा थिरके
हिलता किसी रूमाल-सा
चोर पुजारी तोड़ भोर में ,
ले गया फूल कनेर के ।
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