भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"रात के दो बजे / किम ची-हा / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (‘) |
(कोई अंतर नहीं)
|
10:26, 28 दिसम्बर 2022 के समय का अवतरण
रात के दो बजे हैं
ख़ाली समय है मेरा ये
लेकिन न सो पा रहा हूँ
न ताज़ा ठण्डे पानी से अपना मुँह धो पा रहा हूँ,
किताब भी नहीं पढ़ सकता हूँ यहाँ
इतना कमज़ोर हो चुका हूँ कि सपने भी नहीं देख पाता
और बिना काम इधर-उधर घूमने की इजाज़त नहीं है ।
इस कोठरी के दूसरे बन्दियों के सामने
कुछ खाना भी ठीक नहीं लगता
और धीरे-धीरे कुछ बुड़बुड़ाते हुए भी संकोच होता है बहुत
यूँ ही शान्त पड़े रहने की भी ताक़त नहीं है
कुछ भी नहीं किया जा सकता है
रात के दो बजे हैं
ख़ाली समय है ...
यही है हमारा ज़माना !
रूसी भाषा से अनुवाद : अनिल जनविजय