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{{Welcome|महावीर जोशी पूलासर|महावीर प्रसाद जोशी पूलासर}}
क्यूँ जी सोरो करै मिनख
परायै घरां गी बाताँ
सुण सुण गेरचना... महावीर जोशी पूलासर
जकी बा दुसराँ गैपुराणी_तस्वीर
घरां मे होवण लाग री है
बा ही तो तेरे घर मे हुवैकागज पर असीर
तुं भींत रै चिप्योड़ो इनैबन जाती है
बो भी तो बिनेउम्र की एक कब्र
चिप्योड़ो खड़यौ हैकुरेदता हूँ
क्यूँ कोनी सोचे तूं कैजब भी उसको
भीँता गै भी कान होवैपूछती है ...... उस्ताद
आज तुं सुणसी बिंगीमुझे कैद कर आजाद
काल बो तेरी सुणसीरहने वाले ...तुम्हारी
क्यूँ सरमाँ मरै मिनखताब-ऐ-तासीर
मोरियो पगाँ कानी देख गै रोवैतबाह क्यूँ है ? उम्र के ......... किस पड़ाव पर हो ? == मानव == मानव तेरे रूप भयंकर अलग अलग सब मे है अन्तर कोई हीरा कोई निकले कंकर कई कपटी कई भोला शंकर नरभक्षी करते कुछ तांडव कई मानव कई लगते दानव
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रचना: By. महावीर जोशी पुलासर -सरदारशहर
== ये केसा संसार है ==सरदारशहर (राजस्थान)
== मुखोटा ==
यॆ कॆसा ससार है,धधकती आग
गरीब यहा लाचार हैउत्कट,, विकट आवाज
कुछ लॊगॊ कॆ पास है हीरॆ,दहाड़ चेतनतत्तव की
कुछ रॊटी बिन बिमार है,अठ्हास किया कहतॆ धरती मा सबकी फिर भॆद क्यु बॆसुमार है,
ममता तॆरी तु है मा फिर माता क्यु लाचार है,लंकापति ने
सुनॆ पडॆ है महल यहा फुटपाथॊ पर भरमार है,विस्मय मन से
कुछ बन गयॆ ताज यहा,देखा जब
कुछ दानॆ कॊ मॊहताज हैदंभ,दर्प, मद कोप भरे
खुस यहा है पैसॆ सॆ सब,मुखोटे के पीछे
भुखॊ सॆ नाराज है,छुपे कलयुगी राम को
यॆ कॆसा ससार है,दहाड़ा दशानन
गरीब यहा लाचार है फिर कोई विभिषण
रचना... महावीर जोशी पूलासरभेद किये जा रहा है
== आपका आवेदन ==क्यूँ जन मानस से साथ
महावीर जी, कविता कोश जो छुपा मन के लिए आपका आवेदन विचाराधीन है। कृपया निर्णय की प्रतीक्षा करें। बिना कविता कोश टीम की अनुमति के आप जो भी रचनाएँ कोश में जोड़ेंगे उन तक पाठक नहीं पहुँच पाएंगे। अत: आपसे प्रार्थना है कि आप धैर्य रखें।
पुराणी_तस्वीरछल कपट अंहकार अपने चला है अचला से तिमिर मिटाने को ‐------------ रचना: महावीर जोशी पुलासर (सरदारशहर) राजस्थान == निरुपम ग्राम पुलासर == रेगिस्तान के रेतीले टीलों के मध्य बसा अनुपम गाँव पुलासर अत्यंत रमणीय,अनुपम  और विलक्षण है जहां का सूर्योदय सूर्यवंशियों के  तेज के साथ उदय जो होता है मेरे गाँव के पूरब मे बसा है सूर्यवंशियों का गाँव खीवणसर" मेरे गाँव की ढलती सांझ होता है सूर्यास्त  सोहनी राग ओजपुर्ण काव्य महापुरुषों की शौर्य गाथा के साथ मेरे गाँव के पश्चिम मे जो बसा है राज दरबारी  चारणों का गाँव बरलाजसर  मेरे गाँव का दक्षिण  धन धान्य से पुर्ण  धरतीपुत्र दानवीर सारण (जाटोंं) का गाँव कामासर जिनके भामाशाह पुरखों ने रखी थी नीव मेरे गाँव की मेरे गाँव के उत्तर मे बसा मुस्लिमो का गाँव  कालुसर" अल्लाह को समर्पित एकेश्वरवादी खुदा के बंदो की इबादत  ठेठ मका और मदीना तक गुंजायमान है और  मध्य मे बसा मेरा गाँव  अर्थात् ब्रह्म जानाति ब्राह्मणः  वैदिक धर्म वेदपाठी  ब्राह्मण बाहुल्य  अंतिम सत्य, ईश्वर  परम ज्ञान को प्राप्त पुलासर जिनका मध्य और पंचकोसी उपवन राज मिस्त्री  बागवान कारीगर चर्मकार,काष्ठकार स्वर्णकार और नानाप्रकार  विविध शिल्पकारों से सुसजित  शौभायमान विलक्षण  और अद्भुत है ग्राम देवता बलिदानी दादोजी  उगोजी महाराज का प्रतापी ग्राम पुलासर अतिशय पुनीत लोकातीत और निरुपम है ******** जै दादोजी महाराज ********** मौलिक रचना : महावीर जोशी लेखाकार  पुलासर (सरदारशहर) राजस्थान
== पुराणी तस्वीर ==
कागज पर असीर