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"खुलने और बन्द होने वाली कुर्सियाँ / ग्युण्टर ग्रास / शुचि मिश्रा" के अवतरणों में अंतर

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01:15, 6 जनवरी 2023 के समय का अवतरण

ये बदलाव बहुत तकलीफ़ देते हैं
कि अपने दरवाजे़ से
अपने ही नाम की तख़्ती उतारते हैं वे

अपनी पतीली उठाते हैं और चल देते हैं
उसे परदेश में चढ़ाते हैं दूसरे चूल्हे पे

प्रस्थान का प्रचार करने वाला
ये कैसा फ़र्नीचर है कि लोग
यात्रा पर चल देते हैं
खुलने और बन्द होने वाली कुर्सियाँ लेकर

घर की याद करना और कै करना चाहते जलपोत
अधिकृत उपकरण ले जाते हैं और
उन मालिकों को भी जिन्हें हक़ नहीं
इस तट से उस किनारे पर

फ़िलवक़्त दोनों किनारों पर
खुलने और बन्द होने वाली कुर्सियाँ हैं
 — ये बदलाव बहुत तकलीफ़ देते हैं !

अँग्रेज़ी से अनुवाद : शुचि मिश्रा