भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"लिफ़्ट से ऊपर / रामकुमार कृषक" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामकुमार कृषक |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(कोई अंतर नहीं)

15:38, 9 जनवरी 2023 का अवतरण

लिफ़्ट से
ऊपर उठे हम जा रहे हैं,
भा रहे हैं
अब कहीं ज़्यादा तरीके
सभ्यता के !

एक बेआवाज़
लम्बोदर गुफ़ा का रास्ता,
और यंत्रित वह क़िला
जिससे हमारा वास्ता;

दौड़कर घुसना
खड़े रहना अपंगों की तरह,
संग दकियानूस
कितने ही विचारों में जिरह;

कूद फिर चढ़ना
हवाई कुर्सियों पर पहुँच ऊपर,
और ख़ुद को थूक देना
खिड़कियों से जन्मभू पर;
पा रहे हैं अब
कहीं ज़्यादा सलीके
सभ्यता के !