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"फुलझड़ी / अशोक शाह" के अवतरणों में अंतर

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03:15, 21 जनवरी 2023 का अवतरण


धरती के सुदूर देहरी पर रखा जलता हुआ दीया देखा प्रकम्पित प्रकाष में अनापेक्षित चींटियाँ लौट रही थीं घर पंक्तिबद्ध मानो पृथ्वी के मजदूर लपक रहे हो घर भरते जल्दी-जल्दी डेग

नहीं जानता इस दीपावली के शुभ मुहूर्त में पहँुच पाँएगें घर लिए हाथों में एक फुलझड़ी अवनि की आखिरी छोर पर खडे़ प्रतिक्षारत अपने मासूमों के लिए