भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"इश्क़ हमने न किया / मोहम्मद मूसा खान अशान्त" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोहम्मद मूसा खान अशान्त |अनुवादक=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
17:26, 28 फ़रवरी 2023 के समय का अवतरण
इश्क़ हमने न किया बल्कि इबादत की है
कैसे बतलाऊँ तुम्हें कितनी मुहब्बत की है
सोते जगते भी तिरा नाम रहा है लब पर
हिफ़्ज़ यूँ नाम तिरा करके तिलावत की है
लोग कहते हैं की सूली पे चढ़ा दो इसको
प्यार क्या तुझसे किया लगता बगावत की है
हर गली में तिरी तसवीर लिए फिरता हूँ
सुबह उर शाम यही हमने अयादत की है
तुम जो मिल जाओ बदल जाए कहानी मूसा
हमने बस अपने ख़ुदा से यही हसरत की है