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"मेरी देह / सुकीर्थ रानी / सुधा तिवारी" के अवतरणों में अंतर

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16:14, 12 मार्च 2023 के समय का अवतरण

बेशुमार झाड़ियों से घिरे एक पहाड़
से बहती है एक नदी,
दरख़्तों की रसभरी डालियाँ झुकती हैं
इसके किनारों पर
छूते हुए पानी का तल ।

अदरक के स्वाद पगे फूल
बिखेरते हैं अपने बीज
चटकाकर अपनी नाजुक खाल

पत्थर के कोटर से छलकता है पानी
और चोटी के कगार से
बह उठता है झरना ।

शिकार को निपटा चुका एक बाघ
खून लगे मुँह को तर कर रहा है
तेज़ बहती जलधार में ।
नीचे उतरते ही
किसी ज्वालामुखी के खुले मुँह से
सुर्ख़ राख बिखरती है ।

घड़ी की दिशा में घूमता एक भँवर
आन्दोलित किए है धरती को ।
रात की तरावट में डूबती है
दिन की गर्मी ।
आख़िर में प्रकृति तब्दील हो जाती है
मेरी स्थिर पड़ी देह में ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : सुधा तिवारी