"वीरेन्द्र खरे 'अकेला' / परिचय" के अवतरणों में अंतर
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− | वागर्थ, कथादेश,वसुधा, रसरंग-दैनिक भास्कर, साप्ताहिक शुक्रवार, राष्ट्रधर्म सहित विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं रचनाओं का प्रकाशन ।भावना प्रकाशन, दिल्ली द्वारा प्रकाशित ' समकालीन हिंदी ग़ज़लकार ' एवं किताबगंज प्रकाशन, राजस्थान द्वारा प्रकाशित 'हिंदी ग़ज़ल परम्परा' में वर्णित उल्लेखनीय ग़ज़लकारों में शामिल ग़ज़लकार । चुनी हुई 'हिन्दी ग़ज़लें (सूर्य भारती प्रकाशन दिल्ली), समकालीन ग़ज़लकारों की बेहतरीन ग़ज़लें (किताबगंज प्रकाशन-राजस्थान), सदी के मशहूर ग़ज़लकार (गुफ़्तगू पब्लिकेशन-प्रयागराज), इस दौर की ग़ज़लें (के.बी. एस. प्रकाशन- दिल्ली) 'आधुनिक भारत के गज़लकार' (गुफ़्तगू पब्लिकेशन-प्रयागराज) आदि प्रतिष्ठित/उल्लेखनीय ग़ज़ल संकलनों में सम्मिलित ग़ज़लकार। लगभग 30 वर्षों से आकाशवाणी छतरपुर से रचनाओं का निरंतर प्रसारण । आकाशवाणी द्वारा गायन हेतु रचनाएँ अनुमोदित । दूरदर्शन केंद्र- भोपाल से रचनाओं का प्रसारण । ग़ज़ल-संग्रह 'शेष बची चौथाई रात' पर अभियान जबलपुर द्वारा 'हिन्दी भूषण' अलंकरण । गुफ़्तगू पब्लिकेशन, प्रयागराज द्वारा 'अकबर इलाहाबादी' सम्मान। पुष्पगंधा प्रकाशन-कवर्धा (छत्तीसगढ़) द्वारा 'चंद्रसेन विराट' स्मृति सम्मान। गुफ़्तगू पब्लिकेशन, प्रयागराज द्वारा 'फ़िराक़ गोरखपुरी' सम्मान। मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन एवं बुंदेलखंड हिंदी साहित्य-संस्कृति मंच सागर [म.प्र.] द्वारा कपूर चंद वैसाखिया 'तहलका ' सम्मान । अ०भा० साहित्य संगम, उदयपुर द्वारा काव्य कृति ‘सुबह की दस्तक’ पर राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान के अन्तर्गत 'काव्य-कौस्तुभ' सम्मान तथा लायन्स क्लब द्वारा ‘छतरपुर गौरव’ सम्मान । इंटरनेट पर ‘कविता कोश’, भारत कोश, रेख़्ता, विकिपीडिया, सहित्यकुंज, अनुभूति आदि पर प्रकाशित । | + | वागर्थ, कथादेश,वसुधा, रसरंग-दैनिक भास्कर, साप्ताहिक शुक्रवार, राष्ट्रधर्म सहित विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन ।भावना प्रकाशन, दिल्ली द्वारा प्रकाशित ' समकालीन हिंदी ग़ज़लकार ' एवं किताबगंज प्रकाशन, राजस्थान द्वारा प्रकाशित 'हिंदी ग़ज़ल परम्परा' में वर्णित उल्लेखनीय ग़ज़लकारों में शामिल ग़ज़लकार । चुनी हुई 'हिन्दी ग़ज़लें (सूर्य भारती प्रकाशन दिल्ली), समकालीन ग़ज़लकारों की बेहतरीन ग़ज़लें (किताबगंज प्रकाशन-राजस्थान), सदी के मशहूर ग़ज़लकार (गुफ़्तगू पब्लिकेशन-प्रयागराज), इस दौर की ग़ज़लें (के.बी. एस. प्रकाशन- दिल्ली) 'आधुनिक भारत के गज़लकार' (गुफ़्तगू पब्लिकेशन-प्रयागराज) आदि प्रतिष्ठित/उल्लेखनीय ग़ज़ल संकलनों में सम्मिलित ग़ज़लकार। लगभग 30 वर्षों से आकाशवाणी छतरपुर से रचनाओं का निरंतर प्रसारण । आकाशवाणी द्वारा गायन हेतु रचनाएँ अनुमोदित । दूरदर्शन केंद्र- भोपाल से रचनाओं का प्रसारण । ग़ज़ल-संग्रह 'शेष बची चौथाई रात' पर अभियान जबलपुर द्वारा 'हिन्दी भूषण' अलंकरण । गुफ़्तगू पब्लिकेशन, प्रयागराज द्वारा 'अकबर इलाहाबादी' सम्मान। पुष्पगंधा प्रकाशन-कवर्धा (छत्तीसगढ़) द्वारा 'चंद्रसेन विराट' स्मृति सम्मान। गुफ़्तगू पब्लिकेशन, प्रयागराज द्वारा 'फ़िराक़ गोरखपुरी' सम्मान। मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन एवं बुंदेलखंड हिंदी साहित्य-संस्कृति मंच सागर [म.प्र.] द्वारा कपूर चंद वैसाखिया 'तहलका ' सम्मान । अ०भा० साहित्य संगम, उदयपुर द्वारा काव्य कृति ‘सुबह की दस्तक’ पर राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान के अन्तर्गत 'काव्य-कौस्तुभ' सम्मान तथा लायन्स क्लब द्वारा ‘छतरपुर गौरव’ सम्मान । इंटरनेट पर ‘कविता कोश’, भारत कोश, रेख़्ता, विकिपीडिया, सहित्यकुंज, अनुभूति आदि पर प्रकाशित । लेखन के अलावा वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’ एक रंगकर्मी के रूप में भी सक्रिय रहे हैं । वे भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) की ज़िला इकाई-छतरपुर के लम्बे समय से पदाधिकारी हैं और क़िस्सा कल्पनापुर का, ख़ूबसूरत बहू, बाजीराव मस्तानी तथा महाबली छत्रसाल आदि नाटकों में महत्त्वपूर्ण भूमिकाएँ अभिनीत कर चुके हैं । |
''''''सम्प्रति :'''अध्यापन | ''''''सम्प्रति :'''अध्यापन | ||
''''''सम्पर्क :''' छत्रसाल नगर के पीछे, पन्ना रोड, छतरपुर (म.प्र.)पिन-471001 | ''''''सम्पर्क :''' छत्रसाल नगर के पीछे, पन्ना रोड, छतरपुर (म.प्र.)पिन-471001 |
07:40, 25 मार्च 2023 के समय का अवतरण
जन्म : 18 अगस्त 1968 को छतरपुर (म.प्र.) के किशनगढ़ ग्राम में
पिता : स्व० श्री पुरूषोत्तम दास खरे
माता : श्रीमती कमला देवी खरे
पत्नी : श्रीमती प्रेमलता खरे
शिक्षा :एम०ए० (इतिहास), बी०एड०
लेखन विधा : ग़ज़ल, गीत, कविता, व्यंग्य-लेख, कहानी, समीक्षा आलेख ।
'प्रकाशित कृतियाँ :
1. शेष बची चौथाई रात 1999 (ग़ज़ल संग्रह),
2. सुबह की दस्तक 2006 (ग़ज़ल-गीत-कविता),
3. अंगारों पर शबनम 2012(ग़ज़ल संग्रह)
'उपलब्धियाँ :
वागर्थ, कथादेश,वसुधा, रसरंग-दैनिक भास्कर, साप्ताहिक शुक्रवार, राष्ट्रधर्म सहित विभिन्न प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन ।भावना प्रकाशन, दिल्ली द्वारा प्रकाशित ' समकालीन हिंदी ग़ज़लकार ' एवं किताबगंज प्रकाशन, राजस्थान द्वारा प्रकाशित 'हिंदी ग़ज़ल परम्परा' में वर्णित उल्लेखनीय ग़ज़लकारों में शामिल ग़ज़लकार । चुनी हुई 'हिन्दी ग़ज़लें (सूर्य भारती प्रकाशन दिल्ली), समकालीन ग़ज़लकारों की बेहतरीन ग़ज़लें (किताबगंज प्रकाशन-राजस्थान), सदी के मशहूर ग़ज़लकार (गुफ़्तगू पब्लिकेशन-प्रयागराज), इस दौर की ग़ज़लें (के.बी. एस. प्रकाशन- दिल्ली) 'आधुनिक भारत के गज़लकार' (गुफ़्तगू पब्लिकेशन-प्रयागराज) आदि प्रतिष्ठित/उल्लेखनीय ग़ज़ल संकलनों में सम्मिलित ग़ज़लकार। लगभग 30 वर्षों से आकाशवाणी छतरपुर से रचनाओं का निरंतर प्रसारण । आकाशवाणी द्वारा गायन हेतु रचनाएँ अनुमोदित । दूरदर्शन केंद्र- भोपाल से रचनाओं का प्रसारण । ग़ज़ल-संग्रह 'शेष बची चौथाई रात' पर अभियान जबलपुर द्वारा 'हिन्दी भूषण' अलंकरण । गुफ़्तगू पब्लिकेशन, प्रयागराज द्वारा 'अकबर इलाहाबादी' सम्मान। पुष्पगंधा प्रकाशन-कवर्धा (छत्तीसगढ़) द्वारा 'चंद्रसेन विराट' स्मृति सम्मान। गुफ़्तगू पब्लिकेशन, प्रयागराज द्वारा 'फ़िराक़ गोरखपुरी' सम्मान। मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन एवं बुंदेलखंड हिंदी साहित्य-संस्कृति मंच सागर [म.प्र.] द्वारा कपूर चंद वैसाखिया 'तहलका ' सम्मान । अ०भा० साहित्य संगम, उदयपुर द्वारा काव्य कृति ‘सुबह की दस्तक’ पर राष्ट्रीय प्रतिभा सम्मान के अन्तर्गत 'काव्य-कौस्तुभ' सम्मान तथा लायन्स क्लब द्वारा ‘छतरपुर गौरव’ सम्मान । इंटरनेट पर ‘कविता कोश’, भारत कोश, रेख़्ता, विकिपीडिया, सहित्यकुंज, अनुभूति आदि पर प्रकाशित । लेखन के अलावा वीरेन्द्र खरे ‘अकेला’ एक रंगकर्मी के रूप में भी सक्रिय रहे हैं । वे भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) की ज़िला इकाई-छतरपुर के लम्बे समय से पदाधिकारी हैं और क़िस्सा कल्पनापुर का, ख़ूबसूरत बहू, बाजीराव मस्तानी तथा महाबली छत्रसाल आदि नाटकों में महत्त्वपूर्ण भूमिकाएँ अभिनीत कर चुके हैं ।
'सम्प्रति :अध्यापन
'सम्पर्क : छत्रसाल नगर के पीछे, पन्ना रोड, छतरपुर (म.प्र.)पिन-471001
मोबाइल फ़ोन नम्बर-09981585601
'संस्तुतियाँ'
'अकेला' की ग़ज़लों में भरपूर शेरियत और तग़ज़्जुल है । छोटी बड़ी सभी प्रकार की बहरों मे उन्होंने नए नए प्रयोग किए हैं और वे खूब सफल भी हुए हैं । उनके शेरों में यह ख़ूबी है कि वे ख़ुद-ब-ख़ुद होठों पर आ जाते हैं जैसे कि यह शेर-
इक रूपये की तीन अठन्नी माँगेगी
इस दुनिया से लेना-देना कम रखना
-पद्मश्री डॉ० गोपाल दास 'नीरज'
'अकेला' की ग़ज़ल वो लहर है जो ग़ज़ल के समुन्दर में नई हलचल पैदा करेगी ।
- डॉ. बशीर बद्र