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"निजता के पक्ष में / यून्ना मोरित्स / वरयाम सिंह" के अवतरणों में अंतर

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नहीं चाहिए आँसू पराये आसमानों के,  
 
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15:33, 25 मार्च 2023 के समय का अवतरण

निकअलाय तीख़ानफ़ के लिए

मुझे नहीं चाहिए दूसरों की मेज़ों की धूल
नहीं चाहिए आँसू पराये आसमानों के,
अस्वीकार करती हूँ मैं उन्हें पूरी तरह ।
कोने में खड़ी मेरी ओर देखती है
मेरी सम्वेदनाओं की आत्मा,
आत्मा मेरे शब्दों की, आत्मा मेरे व्यवहार की ।
उसके बिना मैं जी न पाती एक भी दिन अधिक ।
बचपन से चला आ रहा है यह
दूध के साथ प्रवेश किया उसने
और अटकी रह गई गले में ।
ठोंक दिया गया है उसे कील की तरह हथौड़े से,
उसे उड़ेला गया मेरे भीतर जैसे समुद्र में पानी ।
मृत्यु के बाद ही निकलेगी वह
जब अलग होना पड़ेगा कापी से ।

उड़ जाने से पहले, ओ आत्मा !
बताना कौन है तू ? सीपियों की चरमराहट ?
सोन चिड़िया का मधुर गीत ?
या लाल वेणी की तरह गुँथी हुई धूपचन्दन की बेल ।
सांस लूँगी मैं इस दुनिया में
और छोडूँगी दूसरी दुनिया में ।
उड़ जाऊँगी एक और एकमात्र पंँख के सहारे !
मुझे प्राप्त है पूरे-का-पूरा शिशिर
हिमनद के साथ बिताने को अपना सारा समय ।

अन्धेरी झीलों के बीच यह मुहल्ला — मेरा है
उद्यान की बाड़ के बीच
लोहे के फूल लिए यह श्याम-श्वेत वस्त्र — मेरा है ।
बाल्टिक सागर का सुनहला नमक — मेरा है,
मेरा है — समुद्र का दलदली तट,
अवसाद के साथ का यह भीषण आक्रमण भी मेरा है,
मेरा है यह सबसे ताज़ा दर्द
जिसे मैंने सहन किया है प्लेग की तरह ।
और इस सबके बाद —
आरम्भ होता है बर्फ़ की तरह सफ़ेद आज़ादी का पीना ।
ओ मेरी आत्मा ! अपनी आँखों से देख —
कितना होना चाहिए मेरे पास मेरा अपना
कि एहसास बना रहे मुझे मेरे अपने वजूद का !

मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह

लीजिए, अब यही कविता मूल भाषा में पढ़िए
                Юнна Мориц
     Ни пылинки с чужого стола...

Николаю Тихонову
  
Ни пылинки с чужого стола,
Ни слезинки с небес неродных
Не хочу! Отвергаю дотла!
И глядят на меня из угла
Только души моих коренных
Впечатлений, поступков и строк.
А иначе - хоть крюк в потолок -
Я бы дня протянуть не смогла.
Это с детства. Вошло с молоком
И навеки, чтоб в горле стоять.
Это вбито, как гвоздь молотком.
Это всажено по рукоять.
Это влито, как в море вода.
Это вынут посмертно, когда
Разлучатся душа и тетрадь.
А пока полетаем, душа.
Кто ты есть! Перламутровый хруст.
Перекрестная песня чижа
И щегла. Можжевеловый куст,
Перетянутый красным жгутом,
Чтоб не треснуть на сгибе в стволе,
Вдох на этом и выдох на том
Свете. Взлет на едином крыле,
На единственном! Эта зима
Мне отпущена вся, целиком,
Мой период с моим ледником.
Мой квартал между темных озер.
Мой — в садовой ограде узор
С черно-белым чугунным цветком.
Мой — болотистый берег морской,
Золотая балтийская соль,
Огнестрельная схватка с тоской,
Эта самая свежая боль,
Пережитая чудом чума
Оскуденья. И после всего —
Белоснежной свободы питье.
О душа моя, видишь сама,
Сколько надо иметь своего,
Чтобы верить в наличье твое!