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"कविता सुनाई पानी ने-6 / नंदकिशोर आचार्य" के अवतरणों में अंतर

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हो सकते मिलकर हम
 
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खाटती है संज्ञा
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जोड़ते हैं सर्वनाम
 
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इसीलिए बस तुम कहता हूँ तुम्हें
 
इसीलिए बस तुम कहता हूँ तुम्हें

22:12, 13 नवम्बर 2008 का अवतरण

कोई पर्याय नहीं होता
किसी संज्ञा का
सर्वनाम हो सकता है किसी का भी
संज्ञा नहीं मिलती किसी से
सर्वनाम घुल जाते एक-दूसरे में
जैसे मैं और तुम
हो सकते मिलकर हम

काटती है संज्ञा
जोड़ते हैं सर्वनाम
इसीलिए बस तुम कहता हूँ तुम्हें
कविता में नहीं लिखता हूँ
तुम्हारा नाम ।