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"अपने मन की पीर / सुभाष नीरव" के अवतरणों में अंतर
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22:44, 7 अप्रैल 2023 के समय का अवतरण
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(१)
लाख छिपायें हम भले, अपने मन की पीर।
सबकुछ तो कह जाय है, इन नयनों का नीर॥
(२)
दूर हुईं मायूसियाँ, कटी चैन से रात।
मेरे सर पर जब रखा, माँ ने अपना हाथ॥
(३)
बाबुल तेरी बेटियाँ, कुछ दिन की मेहमान ।
आज नहीं तो कल तुझे, करना कन्यादान॥
(४)
पानी बरसा गाँव में, अबकी इतना ज़ोर ।
फ़सल हुई बरबाद सब, बचे न डंगर-ढोर।।
(५)
बुरा भला रह जाय है, इस जीवन के बाद।
कुछ तो ऐसा कीजिए, रहे सभी को याद॥