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"नागार्जुन / अदम गोंडवी" के अवतरणों में अंतर
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वामपन्थी सोच का आयाम है नागार्जुन
ज़िन्दगी में आस्था का नाम है नागार्जुन
ग्रामगन्धी सर्जना उसमें जुलाहे का गुरूर
जितना अनगढ़ उतना ही अभिराम है नागार्जुन
हम तो कहते हैं उसे बंगाल की खाँटी सुबह
केरला की ख़ूबसूरत शाम है नागार्जुन
खास इतना है कि सर-आँखों पर है उसका वजूद
मुफ़लिसों की झोपड़ी तक आम है नागार्जुन
इस अहद के साथ कि इस बार हारेगा यजीद
कर्बला में युद्ध का पैगाम है नागार्जुन
आज तक अप्रकाशित यह कविता ख़ुद अदम गोण्डवी के हाथ से लिखी मूल पाण्डुलिपि से नक़ल की गई है।
10अप्रैल 2023