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कितने फूल थे | कितने फूल थे | ||
जो तुम्हारे जूड़े के लिए तरसते रहे | जो तुम्हारे जूड़े के लिए तरसते रहे | ||
और दूर कहीं पहाड़ी जंगलों में | और दूर कहीं पहाड़ी जंगलों में | ||
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कितने फूल थे | कितने फूल थे | ||
जिन्हें तुम | जिन्हें तुम | ||
− | सिर्फ छूकर तितली बना सकती | + | सिर्फ छूकर तितली बना सकती थी । |
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फूल खिलते हैं | फूल खिलते हैं | ||
प्रेमी फूलों को तोड़ ले जाते हैं | प्रेमी फूलों को तोड़ ले जाते हैं | ||
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एक तुम थी | एक तुम थी | ||
दूसरे रातरानी के फूल | दूसरे रातरानी के फूल | ||
मैं मौत जैसी नींद में भी बता सकता था कि | मैं मौत जैसी नींद में भी बता सकता था कि | ||
− | मेरे पास कौन है? | + | मेरे पास कौन है ? |
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एक फूल की आड़ में | एक फूल की आड़ में | ||
छिप जाते थे हत्यारे | छिप जाते थे हत्यारे | ||
− | और कहते थे | + | और कहते थे — |
− | कमल | + | कमल खिलेगा । |
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बहुत सारे फूल थे | बहुत सारे फूल थे | ||
− | अलग अलग | + | अलग - अलग गन्ध थी |
− | अलग-अलग रूप थे | + | अलग - अलग रूप थे |
पर एक फूल ने | पर एक फूल ने | ||
− | दूसरे फूल से कभी नहीं कहा | + | दूसरे फूल से कभी नहीं कहा — |
− | तुम अछूत | + | तुम अछूत हो । |
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− | जैसे-जैसे रात बीतती थी | + | '''सात''' |
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+ | जैसे - जैसे रात बीतती थी | ||
तुम्हारी याद के फूल खिलते थे | तुम्हारी याद के फूल खिलते थे | ||
और मेरा कमरा महक उठता था | और मेरा कमरा महक उठता था | ||
− | पड़ोसी कहते थे | + | पड़ोसी कहते थे — यह रातरानी है |
− | मैं कहता था | + | मैं कहता था — नहीं, यह मेरी रानी है । |
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− | उन | + | '''आठ''' |
− | जब तुम साथ-साथ रोती थीं | + | |
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− | मैं सोचता था | + | जब तुम साथ - साथ रोती थीं |
− | सुबह तक | + | और तकिये पर गिरते थे टप - टप आँसू |
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+ | सुबह तक तकिये पर फूल खिलेंगे । | ||
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जिन फूलों के नाम | जिन फूलों के नाम | ||
हम नहीं जानते थे | हम नहीं जानते थे | ||
उन्हें फूल कहते थे | उन्हें फूल कहते थे | ||
− | सोचता था | + | सोचता था — |
− | काश | + | काश ! मनुष्यों के साथ भी ऐसा होता । |
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+ | '''दस''' | ||
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तुम पुकार लो | तुम पुकार लो | ||
तो अब भी लौट आऊँ | तो अब भी लौट आऊँ | ||
प्यार से छू लो | प्यार से छू लो | ||
− | तो बासी फूल भी महक उठते | + | तो बासी फूल भी महक उठते हैं । |
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01:58, 22 मई 2023 के समय का अवतरण
एक
कितने फूल थे
जो तुम्हारे जूड़े के लिए तरसते रहे
और दूर कहीं पहाड़ी जंगलों में
लावारिस मारे गए ।
दो
कितने फूल थे
जिन्हें तुम
सिर्फ छूकर तितली बना सकती थी ।
तीन
फूल खिलते हैं
प्रेमी फूलों को तोड़ ले जाते हैं
फूल ख़ुशी से खिलते हैं ।
चार
एक तुम थी
दूसरे रातरानी के फूल
मैं मौत जैसी नींद में भी बता सकता था कि
मेरे पास कौन है ?
पाँच
एक फूल की आड़ में
छिप जाते थे हत्यारे
और कहते थे —
कमल खिलेगा ।
छह
बहुत सारे फूल थे
अलग - अलग गन्ध थी
अलग - अलग रूप थे
पर एक फूल ने
दूसरे फूल से कभी नहीं कहा —
तुम अछूत हो ।
सात
जैसे - जैसे रात बीतती थी
तुम्हारी याद के फूल खिलते थे
और मेरा कमरा महक उठता था
पड़ोसी कहते थे — यह रातरानी है
मैं कहता था — नहीं, यह मेरी रानी है ।
आठ
उन आख़िरी दिनों में
जब तुम साथ - साथ रोती थीं
और तकिये पर गिरते थे टप - टप आँसू
मैं सोचता था —
सुबह तक तकिये पर फूल खिलेंगे ।
नौ
जिन फूलों के नाम
हम नहीं जानते थे
उन्हें फूल कहते थे
सोचता था —
काश ! मनुष्यों के साथ भी ऐसा होता ।
दस
तुम पुकार लो
तो अब भी लौट आऊँ
प्यार से छू लो
तो बासी फूल भी महक उठते हैं ।