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'''1652 में कवि जॉन मिल्टन पूरी तरह से अन्धे हो गए थे। अपनी दृष्टिहीनता के दौरान ही उन्होंने यह कविता लिखी थीसॉनेट लिखा था, जिसकी पहली पंक्ति थी — ’अपना प्रकाशकाल प्रकाश (काल) मैंने कैसे व्यतीत किया’। प्रकाशकाल का अर्थ यहाँ उस समय से है, जब उन्होंने अपनी आँखों की रोशनी खोई नहीं थी और वे देख सकते थे ।'''
कैसे बिताए थे मैंने आलोकमयी दिन, मन में आया यह विचार
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