भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"दोपहर तीन बजे / कमला दास / रंजना मिश्रा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कमला दास |अनुवादक=रंजना मिश्रा |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
16:01, 22 जून 2023 के समय का अवतरण
दोपहर तीन बजे
सिर्फ़ नींद में ही वह
अपना नन्हे लड़के वाला अकेलापन दिखाता था
जिससे मैं एक दोपहर एकाएक ही मिली
मैं उसे जगाने की हिम्मत न कर सकी
हालँकि हमारे साथ का समय सीमित था उन दिनों
मैं बैठी उधेड़बुन में उसे देखती रही
सपनों की किन पेचीदी गलियों में वह घूम रहा था
वह मासूम, अपनी लालसा में कितना किंकर्तव्यविमूढ़
अँग्रेज़ी से अनुवाद : रंजना मिश्र