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गुज़रती हो मेरे क़रीब से लबादा पहने काला
बड़ी उपेक्षा से छिपाती हो अपना पेशा
और पीले चेहरे पर झलकता वो इशाराझलके जो कसाला
मुझे नहीं पता तुम जाती हो कहाँ
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