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"एक शहर को छोड़ते हुए-1 / उदय प्रकाश" के अवतरणों में अंतर

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17:32, 10 अगस्त 2023 के समय का अवतरण

हम अगर यहाँ न होते आज तो
कहाँ होते ताप्ती ?
होते कहीं किसी नदी पार के गाँव के
किसी पुराने कुएँ में
डूबे होते किसी बहुत पुराने पीतल के
लोटे की तरह
जिस पर कभी-कभी धूप भी आती
और हमारे ऊपर किसी का भी नाम लिखा होता .

या फिर होते हम कहीं भी
किसी भी तरह से साथ-साथ रह लेते
दो ढेलों की तरह हर बारिश में घुलते
हर दोपहर गरमाते.

हम रात में भी होते
तो हमारी साँसें फिर भी चलतीं, ताप्ती,
और अँधेरे में
हम उनका चलना देखते, ताज्ज़ुब से

क्या हम कभी-कभी
किसी और तरह से होने के लिए रोते, ताप्ती ?