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हर दिन तो एक जंगल है, बेउला बिउला !दृश्यों में नहीं कोई रंग नहीं है, बेउला बिउला !
छोटी-छोटी बातों में भी धैर्य दिखलाओ ।
फिर इस जीवन से, भला, क्यों न ऊब जाओ ।
ये सूरज है कि किरणों का कहर
ज्यों बरछियों ने बोला हो धावा
फिर उसके ये धूसर कपड़े भी दोपहरजीवन को बनाते हैं लावा ।
उसे याद आते हैं लोग
ज़िन्दगी को बना दिया था पूरी आतिश
तब जिससे मन को थोड़ी छाँह मिली थी
हाँ, याद आ गया
नाम था उस बौड़म का मियाँ — मौरिस
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