"समुद्र और उसकी कविता / कार्लोस ओकेन्दो दे आमात / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर
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तुम्हारा भाग्य होगा अब एकदम शुभ्र | तुम्हारा भाग्य होगा अब एकदम शुभ्र |
11:06, 5 सितम्बर 2023 के समय का अवतरण
तुम्हारी नेकियों ने
चित्र उकेरे
पक्षियों के गीतों के
और तुम्हारी उक्तियों से भर गया समुद्र ।
तुम्हारा भाग्य होगा अब एकदम शुभ्र
और तुम्हारी दोनों भौंहों के गुच्छे कभी नहीं काँपेंगे ।
हवा तुम्हारी नाव के पालों को फूलों की तरह हिला रही है ।
मैं जानता हूँ कि
तुम बारिश में भी मेरा इन्तज़ार कर रहे हो ।
मैं जानता हूँ कि तुम्हारा महत्त्व
तुम्हारे गमछे और गीतों की किताब से बहुत ज़्यादा है ।
तुम एक शाश्वत आश्चर्य हो
इस गुलाबी दिन में छुपे हुए
मूल स्पानी से अनुवाद : अनिल जनविजय
लीजिए, अब यही कविता मूल स्पानी में पढ़िए
Carlos Oquendo de Amat
POEMA DEL MAR Y DE ELLA
Tu bondad pintó el canto de los pájaros
y el mar venía lleno en tus palabras
de puro blanca se abrirá aquella estrella
y ya no volarán nunca las dos golondrinas de tus cejas
el viento mueve las velas como flores
yo sé que tú estás esperándome detrás de la lluvia
y eres más que tu delantal y tu libro de letras
eres una sorpresa perenne
DENTRO DE LA ROSA DEL DÍA