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"तुम पहचानते हो / योसिफ़ ब्रोदस्की" के अवतरणों में अंतर

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तुम पहचानते हो मुझे मेरी लिखावट से;
 
तुम पहचानते हो मुझे मेरी लिखावट से;
हमारे ईर्ष्‍याजनक साम्राज्‍य में सब कुछ सन्देहास्‍पद है :
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हमारे ईर्ष्याजनक साम्राज्य में सब कुछ सन्देहास्पद है :
हस्‍ताक्षर, काग़ज़, तारीख़ें।
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हस्ताक्षर, काग़ज़, तारीख़ें।
बच्‍चे भी ऊब जाते हैं इस तरह के शेखचिल्लियों के खेल में,
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बच्चे भी ऊब जाते हैं इस तरह के शेखचिल्लियों के खेल में,
खिलौने में उन्‍हें कहीं अधिक मज़ा आता है ।
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खिलौने में उन्हें कहीं अधिक मज़ा आता है ।
  
 
लो, मैं सीखा हुआ सब भूल गया ।
 
लो, मैं सीखा हुआ सब भूल गया ।
  
अब जब मेरा सामना होता हे नौ की संख्‍या और
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अब जब मेरा सामना होता हे नौ की संख्या और
प्रश्‍न जैसी गर्दन से प्राय: सुबह-सुबह
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प्रश्न जैसी गर्दन से प्राय: सुबह-सुबह
 
या आधी रात में दो के अंक से, मुझे याद आता है
 
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हंस पर्दे के पीछे से उड़कर आता हुआ,
 
हंस पर्दे के पीछे से उड़कर आता हुआ,
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मालूम होता है कि मैंने फिर भी कुछ बचत कर रखी है ।
 
मालूम होता है कि मैंने फिर भी कुछ बचत कर रखी है ।
अधिक दिन तक चल नहीं सकेंगे ये छोटे सिक्‍के
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अधिक दिन तक चल नहीं सकेंगे ये छोटे सिक्के
पर नोट से अच्‍छे तो ये सिक्‍के हैं,
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पर नोट से अच्‍छे तो ये सिक्के हैं,
अच्‍छे हैं पायदान सीढ़ियों के ।
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अपनी रेशमी चमड़ी से विरक्‍त श्‍वेत ग्रीवा
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बहुत पीछे छोड़ आती है घुड़सवार औरतों को ।
 
बहुत पीछे छोड़ आती है घुड़सवार औरतों को ।
 
ओ प्रिय घुड़सवार लड़की ! असली यात्रा
 
ओ प्रिय घुड़सवार लड़की ! असली यात्रा

14:47, 18 सितम्बर 2023 के समय का अवतरण

तुम पहचानते हो मुझे मेरी लिखावट से;
हमारे ईर्ष्याजनक साम्राज्य में सब कुछ सन्देहास्पद है :
हस्ताक्षर, काग़ज़, तारीख़ें।
बच्चे भी ऊब जाते हैं इस तरह के शेखचिल्लियों के खेल में,
खिलौने में उन्हें कहीं अधिक मज़ा आता है ।

लो, मैं सीखा हुआ सब भूल गया ।

अब जब मेरा सामना होता हे नौ की संख्या और
प्रश्न जैसी गर्दन से प्राय: सुबह-सुबह
या आधी रात में दो के अंक से, मुझे याद आता है
हंस पर्दे के पीछे से उड़कर आता हुआ,
और गुदगुदी होती है नथुनों में पाउडर और पसीने से
जैसे उनमें महक जमा हो रही हो, जमा होते हैं जैसे
टेलीफ़ोन नम्बर या खज़ाने के भेद ।

मालूम होता है कि मैंने फिर भी कुछ बचत कर रखी है ।
अधिक दिन तक चल नहीं सकेंगे ये छोटे सिक्के ।
पर नोट से अच्‍छे तो ये सिक्के हैं,
अच्छे हैं पायदान सीढ़ियों के ।

अपनी रेशमी चमड़ी से विरक्त श्वेत ग्रीवा
बहुत पीछे छोड़ आती है घुड़सवार औरतों को ।
ओ प्रिय घुड़सवार लड़की ! असली यात्रा
फ़र्श के चरमराने से पहले ही शुरू हो चुकी होती है,
इसलिए कि होंठ मृदुता प्रदान करते हैं, पर क्षितिज की रेखा
और यात्री को ठहराने के लिए
कहीं जगह नहीं मिलती ।