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बचपन / जगदीश व्योम

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[[Category:बाल-कविताएँ]]
छीनकर खिलौनो को बाँट दिये गम  बचपन से दूर बहुत दूर हुए हम।।हम !
अच्छी तरह से अभी पढ़ना न आया
 
कपड़ों को अपने बदलना न आया
लाद दिए बस्ते हैं भारी-भरकम
बचपन से दूर बहुत दूर हुए हम!
लाद दिए बस्ते हैं भारी-भरकम। बचपन से दूर बहुत दूर हुए हम।।   अँग्रेजी शब्दों का पढ़ना-पढ़ाना 
घर आके दिया हुआ काम निबटाना
 होमवर्क होम-वर्क करने में फूल जाये दम।जाय दमबचपन से दूर बहुत दूर हुए हम।।हम!
देकर के थपकी न माँ मुझे सुलाती
 
दादी है अब नहीं कहानियाँ सुनाती
बिलख रही कैद बनी, जीवन सरगम
बचपन से दूर बहुत दूर हुए हम!
बिलख रही कैद बनी, जीवन सरगम। बचपन से दूर बहुत दूर हुए हम।।   इतने कठिन विषय कि छूटे पसीना  
रात-दिन किताबों को घोट-घोट पीना
 उस पर भी नम्बर आते हैं बहुत कम।कमबचपन से दूर बहुत दूर हुए हम।।हम! -डॅा. जगदीश व्योम</poem>