भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सपने की मुश्किल / विहाग वैभव" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विहाग वैभव |अनुवादक= |संग्रह=मोर्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
21:46, 8 दिसम्बर 2023 के समय का अवतरण
मेरे सपने में एक नाव थी
जिस पर सवार होकर
मैं तुम्हें भगा ले जाता था
पर हर सपने की एक ही मुश्किल थी
किनारे लगने के पहले
नींद टूट जाती थी
नाव डूब जाती थी ।