भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKRachna
|रचनाकार=हरिवंशराय बच्चन
|संग्रह=निशा निमन्त्रण / हरिवंशराय बच्चन
}}
{{KKAnthologyChand}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
मुझ से चाँद कहा करता है —
चोट कडी कड़ी है काल प्रबल की,<br>उसकी मुस्कानों से हल्की,<br>राजमहल कितनी कितने सपनों का पल में नित्य ढहा करता है,<br>!मुझसे चांद मुझ से चाँद कहा करता है<br>—
तू तो है लघु मानव केवल,
पृथ्वी-तल का वासी निर्बल,
तारों का असमर्थ अश्रु भी नभ से नित्य बहा करता है !
मुझ से चाँद कहा करता है —