भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तरबूज बिक रहे हैं / अन्द्रेय वज़निसेंस्की / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 38: पंक्ति 38:
 
जैसे लटकी हुई हो पृथ्वी अलबेली
 
जैसे लटकी हुई हो पृथ्वी अलबेली
 
भूमध्य रेखा और अक्षांश के बीच फँसी एक सहेली ।
 
भूमध्य रेखा और अक्षांश के बीच फँसी एक सहेली ।
 +
 +
'''रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
  
 
'''लीजिए, अब यही कविता अँग्रेज़ी अनुवाद में पढ़िए'''
 
'''लीजिए, अब यही कविता अँग्रेज़ी अनुवाद में पढ़िए'''
पंक्ति 68: पंक्ति 70:
 
of meridians and latitudes!
 
of meridians and latitudes!
  
 +
Translated by Edwin Morgan
  
 
'''लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए'''
 
'''लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए'''

06:30, 25 जनवरी 2024 के समय का अवतरण

आजकल मसक्वा तरबूजों से अटा पड़ा है
जहाँ नज़र डालो वहाँ तरबूज दिखाई देते हैं
उनकी मादक ख़ुशबू आ रही है घनघोर
तेज़ बहती हवा उसे फैला रही है चारों ओर

इतने ज़्यादा ख़रीददार
कि उत्साह में हैं तरबूज़ बेचने वाली लड़कियाँ
अपने-अपने ठियों पर ।
चारों तरफ़ गुलगपाड़ा मचा है - कोलाहल है
हँस रही हैं लड़कियाँ ! हँसते-हँसते हुई बेहाल हैं

लोग तरबूजों को ठोक-बजा रहे हैं उँगलियों से
वजन देख रहे हैं उन्हें उठा-उठाकर
कुछ चाकू से उसकी फाँकें काट रहे हैं
कुछ खोज रहे हैं पूरा जखीरा
उसमें ढूँढ़ रहे हैं कोई मीठा मतीरा ।

अरे गुरु, धक्का-मुक्की मत करो,
गिर जाएँगे सारे तरबूज
फट जाएँगे - खुल जाएँगे दो-चार
ख़त्म हो जाएगा उनका सारा उरूज ।

ये कलिन्दा जितना हरा है
उतना ही रसदार, स्वादिष्ट और मदभरा है
ठिये पर दिखती है पुलिस की टोपी
मोटरसाइकिल से उतर आया है गोपी

उसकी आँखों में चमक है, अपनापन है
तरबूज लटका हुआ है अलबेला
जैसे लटकी हुई हो पृथ्वी अलबेली
भूमध्य रेखा और अक्षांश के बीच फँसी एक सहेली ।

रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय

लीजिए, अब यही कविता अँग्रेज़ी अनुवाद में पढ़िए
         Andrei Voznesensky
         Selling Watermelons

Moscow is milling with watermelons.
Everything breathes a boundless freedom.
And it blows with unbridled fierceness
from the breathless melonvendors.

Stalls. Din. Girls’ headscarves.
They laugh. Change bangs down. Knives

and a choice sample slice.
̶ Take one, chief, for a long life!
Who’s for a melon?
Freshly split!

And just as tasty and just as juicy are
the capbands of policemen
and the ranks of motor-scooters.
The September air is fresh and keen
and resonant as a watermelon.

And just as joyfully on its own tack
as the city-limit melon-multitudes,
the earth swings
in its great string bag
of meridians and latitudes!

Translated by Edwin Morgan

लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
            Андрей Вознесенский
               Торгуют арбузами

Москва завалена арбузами.
Пахнуло волей без границ.
И веет силой необузданной
Оот возбужденных продавщиц.Палатки. Гвалт. Платки девчат.
Хохочут. Сдачею стучат.
Ножи и вырезок тузы.
«Держи, хозяин, не тужи!»Кому кавун? Сейчас расколется!
И так же сочны и вкусны
Милиционерские околыши
И мотороллер у стены.И так же весело и свойски,
как те арбузы у ворот —
земля мотается в авоське
меридианов и широт!