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"दग़िस्तानी लोरी - 7 / रसूल हम्ज़ातव / मदनलाल मधु" के अवतरणों में अंतर
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जब तक फूल कहीं पर कोई खिल पाए
मेरी बिटिया उससे पहले खिल जाए ।
जब तक नदियाँ उमड़ें पानी से भरकर
घनी वेणियाँ बिटिया की गूँथूँ सुन्दर ।
नहीं गिरा है हिम जो अब तक धरती पर
आए लोग सगाई - सन्देसा लेकर ।
लोग सगाई करने को ही यदि आ जाएँ
शहद भरा पीपा वो अपने संग लाएँ ।
भेड़-बकरियाँ और मेमने वे लाएँ
है दुलहन का बाप, उन्हें हम बतलाएँ ।
पास पिता के चुस्त, तेज़, घोड़े भेजें
और पिता का वे ऐसे सम्मान करें ।
रूसी भाषा से अनुवाद : मदनलाल मधु