भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"देखकर माहौल घबराए हुए हैं / बसंत देशमुख" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बसंत देशमुख }} {{KKParichay |चित्र= |नाम=बसंत देशमुख |उपना...)
 
पंक्ति 14: पंक्ति 14:
 
|जीवनी=[[बसंत देशमुख / परिचय]]
 
|जीवनी=[[बसंत देशमुख / परिचय]]
 
}}
 
}}
 +
 +
देखकर माहौल घबराए हुए हैं<br />
 +
इस शहर में हम नए आए हुए हैं<br />
 +
 +
बोल दे तो आग लग जाए घरों में<br />
 +
दिल में ऐसे राज़ दफनाये हुए हैं<br />
 +
 +
रौशनी कि खोज में मिलता अँधेरा<br />
 +
हम हजारों बार आजमाए हुए हैं<br />
 +
 +
दिन में वे मूरत बने इंसानियत के<br />
 +
रात में हैवान के साए हुए हैं<br />
 +
 +
दो ध्रुवों का फर्क है क्यों आचरण में<br />
 +
एक ही जब कोख के जाए हुए हैं<br />

14:43, 20 नवम्बर 2008 का अवतरण

बसंत देशमुख
Photo-not-available-cam-kavitakosh.png
क्या आपके पास चित्र उपलब्ध है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें

जन्म ११ जनवरी १९४२(बसंत पंचमी)
निधन
उपनाम
जन्म स्थान ग्राम टिकरी(अर्जुन्दा) जिला - दुर्ग (छत्तीसगढ़)
कुछ प्रमुख कृतियाँ
मुखरित मौन ( काव्य संग्रह), गीतों की बस्ती कंहाँ पर बसायें ( काव्य संग्रह), सनद रहे ( काव्य संग्रह), धुप का पता (ग़ज़ल संग्रह), लिखना हाल मालूम हो (मुक्तक - संग्रह)
विविध
मनोज प्रकाशन नई दिल्ली से प्रकाशित गजल संग्रह 'गज़लें हिंदुस्थानी' में ग़जलें समाहित,वाणी प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित गजल संग्रह 'गज़लें दुष्यंत के बाद' में ग़जलें समाहित,कवितायें बंगला भाषा में अनुदित एवं 'अदल बदल' मासिक कोलकाता के अंकों में प्रकाशित
जीवन परिचय
बसंत देशमुख / परिचय
कविता कोश पता
www.kavitakosh.org/{{{shorturl}}}




देखकर माहौल घबराए हुए हैं
इस शहर में हम नए आए हुए हैं

बोल दे तो आग लग जाए घरों में
दिल में ऐसे राज़ दफनाये हुए हैं

रौशनी कि खोज में मिलता अँधेरा
हम हजारों बार आजमाए हुए हैं

दिन में वे मूरत बने इंसानियत के
रात में हैवान के साए हुए हैं

दो ध्रुवों का फर्क है क्यों आचरण में
एक ही जब कोख के जाए हुए हैं