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"देखकर माहौल घबराए हुए हैं / बसंत देशमुख" के अवतरणों में अंतर
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+ | दिन में वे मूरत बने इंसानियत के<br /> | ||
+ | रात में हैवान के साए हुए हैं<br /> | ||
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+ | दो ध्रुवों का फर्क है क्यों आचरण में<br /> | ||
+ | एक ही जब कोख के जाए हुए हैं<br /> |
14:43, 20 नवम्बर 2008 का अवतरण
बसंत देशमुख
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जन्म | ११ जनवरी १९४२(बसंत पंचमी) |
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जन्म स्थान | ग्राम टिकरी(अर्जुन्दा) जिला - दुर्ग (छत्तीसगढ़) |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
मुखरित मौन ( काव्य संग्रह), गीतों की बस्ती कंहाँ पर बसायें ( काव्य संग्रह), सनद रहे ( काव्य संग्रह), धुप का पता (ग़ज़ल संग्रह), लिखना हाल मालूम हो (मुक्तक - संग्रह) | |
विविध | |
मनोज प्रकाशन नई दिल्ली से प्रकाशित गजल संग्रह 'गज़लें हिंदुस्थानी' में ग़जलें समाहित,वाणी प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित गजल संग्रह 'गज़लें दुष्यंत के बाद' में ग़जलें समाहित,कवितायें बंगला भाषा में अनुदित एवं 'अदल बदल' मासिक कोलकाता के अंकों में प्रकाशित | |
जीवन परिचय | |
बसंत देशमुख / परिचय |
देखकर माहौल घबराए हुए हैं
इस शहर में हम नए आए हुए हैं
बोल दे तो आग लग जाए घरों में
दिल में ऐसे राज़ दफनाये हुए हैं
रौशनी कि खोज में मिलता अँधेरा
हम हजारों बार आजमाए हुए हैं
दिन में वे मूरत बने इंसानियत के
रात में हैवान के साए हुए हैं
दो ध्रुवों का फर्क है क्यों आचरण में
एक ही जब कोख के जाए हुए हैं