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"जिंदगी हो गई हाज़िरी की तरह / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर
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फिर छुपाए मुझे डॉयरी की तरह। | फिर छुपाए मुझे डॉयरी की तरह। | ||
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उसको मानेंगे वो ज्योतिषी की तरह। | उसको मानेंगे वो ज्योतिषी की तरह। | ||
− | वन से आई ख़बर सुन नगर काँपता, | + | वन से आई ख़बर सुन नगर काँपता, |
जानवर हो गए आदमी की तरह। | जानवर हो गए आदमी की तरह। | ||
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12:47, 26 फ़रवरी 2024 के समय का अवतरण
ज़िंदगी हो गई हाज़िरी की तरह।
हाज़िरी हो गई ज़िंदगी की तरह।
काम देते नहीं मेरे मन का मुझे,
और कहते हैं कर बंदगी की तरह।
प्यार करने का पहले हुनर सीख लो,
फिर इबादत करो आशिक़ी की तरह।
था वो कर्पूर रोया नहीं मोम सा,
नित्य जलता गया आरती की तरह।
रोज़ दिल के सभी राज़ मुझसे कहे,
फिर छुपाए मुझे डॉयरी की तरह।
एक दो झूठ जो उनके हक़ में कहे,
उसको मानेंगे वो ज्योतिषी की तरह।
वन से आई ख़बर सुन नगर काँपता,
जानवर हो गए आदमी की तरह।