भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पीठिका में / नामवर सिंह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नामवर सिंह |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatNav...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

22:24, 27 फ़रवरी 2024 के समय का अवतरण

पीठिका में
उठती हुई सिम्फ़नी
सिन्धु-सी रोशनी
कक्ष का दोलना ।

डूबना डूबना डूबना
दृष्टि में
नीलिमा नीलिमा नीलिमा घोलना ।

देह को चालती-सी नसों का
किसी चेतना में
कृमि-कीट-सा डोलना ।

वक्ष में मौन से प्यार का
देह में
वस्त्र का नित्य नया मुँह खोलना ।