भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अपनी अलग चिन्हारी रख / बसंत देशमुख" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
 
<Poem>
 
<Poem>
  
अब नही उनसे यारी रख<br />
+
अब नही उनसे यारी रख
अपनी लडाई जारी रख<br />
+
अपनी लडाई जारी रख
  
भूख गरीबी के मसले पे<br />
+
भूख ग़रीबी के मसले पे
अब इक पत्थर भारी रख<br />
+
अब इक पत्थर भारी रख
  
कवि मंचों पर बने विदूषक<br />
+
कवि मंचों पर बने विदूषक
उनके नाम मदारी रख<br />
+
उनके नाम मदारी रख
  
भीड़ भाड़ में खो मत जाना<br />
+
भीड़-भाड़ में खो मत जाना
अपनी अलग चिन्हारी रख <br />
+
अपनी अलग चिन्हारी रख  
  
  
 
</poem>
 
</poem>

19:57, 20 नवम्बर 2008 के समय का अवतरण


अब नही उनसे यारी रख
अपनी लडाई जारी रख

भूख ग़रीबी के मसले पे
अब इक पत्थर भारी रख

कवि मंचों पर बने विदूषक
उनके नाम मदारी रख

भीड़-भाड़ में खो मत जाना
अपनी अलग चिन्हारी रख