भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"लाभांश / कमलेश" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कमलेश |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem>...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
09:57, 10 मार्च 2024 के समय का अवतरण
दीवानखाना नई शैली में सुसज्जित है इस वार्षिक अवसर पर
पिता आते हैं अवसर-अनुकूल गम्भीर मुद्रा में सज-धजकर
जैसे कम्पनी के संचालक-मण्डल की बैठक हो...
पिता सबके हिलते सिर देख सन्तोष प्रकट करते हैं,
सब आज्ञाकारी है, सब में फिर सौमनस्य,
और चले जाते हैं — उठते, स्वीकार करते अभिवादन
स्वास्थ्य की मुद्रा लेकर अपने कमरे में
कपड़े टाँगते है, दवा की शीशियों को गिरने से बचाते हुए
माँ और पुत्र हैं
सहारा दे लिटाते हुए
वे जानते हैं
पिता की आयु
एक वर्ष और बढ़ गई ।
इस ख़ुशी में वे पिता को
दुगुनी ख़ुराक दवा देकर
बैठक बरख़ास्त होने के पहले
लाभांश बढ़ने की घोषणा करते हैं ।