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Kavita Kosh से
वह हत्यारा कोई और नहीं था, वह वही था, जिसके साथ हमने कबूतर उड़ाने के अरमान पाले थे
उस दिन भाभी ने आखिरी आख़िरी अन्तरे में यह भी गाया था
किसी ने मेरी ननदी पर डोरे डाले
उस दिन मुझे ज़ोर की हँसी आई थी