भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हाइकु 5 / प्रियंका गुप्ता" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रियंका गुप्ता |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
22:59, 10 अप्रैल 2024 के समय का अवतरण
43
टूटा था तारा
माँग ली दुआ कई
पूरी न हुई ।
44
सर्द हवाएँ
आँगन में यादों के
पत्ते गिराएँ ।
45
संग ले आए
बदलता मौसम
यादें पुरानी ।
46
बाँधे रहना
समाज ने जो दी हैं
सारी बेड़ियाँ ।
47
कसूरवार
बना देगा ज़माना
तोड़ी जो बेड़ी ।
6
सर्द मौसम
यादें लेकर आया
पतझर की ।
48
कैसे भुलाऊँ
किस्से वो अनकहे
दिल में दबे ।
49
लौट आऊँगी
दिल से पुकारना
दिखावा नहीं ।
9
किरचें चुभी
दिल के टूटने की
आवाज़ नहीं ।
50
बेचारा चाँद
तारों से घिरा हुआ
रहे अकेला ।
-0-