भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तुम करो मेरा तिरस्कार / लीलाधर मंडलोई" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लीलाधर मंडलोई |संग्रह= }} <Poem> तुम करो मेरा तिरस्क...)
 
(कोई अंतर नहीं)

22:00, 20 नवम्बर 2008 के समय का अवतरण

तुम करो मेरा तिरस्कार
मुझे कोई दुख नहीं

जिन रास्तों से पहुँचा हूँ यहाँ
अपनी मूर्खताओं के साथ
प्यारी हैं मुझे

मैं कपड़ा बुनता जुलाहा सही
कैसे भूल जाऊँ कपास का मूल्य

मेरी तरलता मूर्खताओं से बनी है