भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पुल / सुरजीत पातर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुरजीत पातर |अनुवादक=चमन लाल |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
17:37, 12 मई 2024 के समय का अवतरण
मैं जिन लोगों के लिए पुल बन गया था
वे जब मेरे ऊपर से गुज़र रहे थे
मैंने सुना, मेरे बारे में कह रहे थे :
वह कहाँ छूट गया है चुप-सा आदमी
शायद पीछे लौट गया है
हमें पहले ही मालूम था
कि उसमें दम नहीं है ।
पंजाबी से अनुवाद: चमन लाल