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"मेरी कविता / सुरजीत पातर / असद ज़ैदी" के अवतरणों में अंतर

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20:55, 12 मई 2024 के समय का अवतरण

मेरी कविता मेरी माँ की समझ में नहीं आई
हालाँकि वह उसी की ज़बान में लिखी गई थी
वह, बस, इतना समझी
कि मेरे बेटे की रूह को कोई तकलीफ़ है
पर इतना दुख मेरे होते हुए
आया कहाँ से

मेरी अनपढ़ माँ ने
ग़ौर से देखा मेरी कविता को

देखो लोगो,
मेरा यह जाया
अपनी माँ के बजाय
अपने दुख काग़ज़ से कहता है

मेरी माँ ने काग़ज़ अपने सीने से लगा लिया
इस उम्मीद में कि शायद ऐसे ही
बेटा क़रीब रहे

पंजाबी से अनुवाद: असद ज़ैदी