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"कवि / हरभजन सिंह / गगन गिल" के अवतरणों में अंतर

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18:29, 26 मई 2024 के समय का अवतरण

शायर का सिर
नदी का पानी
उतर गए दोनों एक साथ

सिर में बहती थी तेज़ नदी
नदी में पकते थे कवि के शब्द

उतर गए पानी
किनारे पर कीचड़
कीचड़ में कटा कवि का मुण्ड
चुप है लेकिन अभी भी उछलता है गर्म-गर्म

अपनी रेत में सो गए पानी
किनारे पर खड़ा धड़ लेकिन लौट गया शहर को
बिखेरता
अपने लहू की आयतें ।

पंजाबी से अनुवाद : गगन गिल