भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"कौन किसी का अब होता है / अर्चना जौहरी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अर्चना जौहरी |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

23:40, 31 मई 2024 के समय का अवतरण

कौन किसी का अब होता है
मतलब से ही सब होता है

पहले अर्पण करना पड़ता
झोली भरना तब होता है

कुछ रिश्ते मतलब के होते
पर कुछ का मतलब होता है

लगता वह भगवान किसी को
और किसी का रब होता है

कल की चिन्ता क्यूँ हो आख़िर
चिंता से कुछ कब होता है