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"मैं नाचूँ तुम गाओ / विष्णुकांत पांडेय" के अवतरणों में अंतर
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17:00, 9 जून 2024 के समय का अवतरण
उल्लू गया कबूतर के घर
बोला — भाई, आओ,
रात बहुत प्यारी लगती है
मैं नाचूँ, तुम गाओ ।
कहा कबूतर ने — भाई, तुम
सुबह - सुबह आ जाना,
तुम नाचो तो कौआ देखे
मैं भी गाऊँ गाना ।