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"लाशें / केतन यादव" के अवतरणों में अंतर

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22:35, 11 जून 2024 के समय का अवतरण

कहीं उधड़ी विच्छिन्न दिखीं
लहराती गंगा में बहती
कहीं दिखीं मणिकर्णिका में
एक के ऊपर एक लदी
भकभकाकर जलती हुई

कब्रिस्तान और श्मशान दोनों में
चहलकदमी तेज थी एक साथ
पर लोगों के हाव-भाव
और विषाद मुद्राएँ
कैद थीं मास्क के भीतर

अस्पतालों में कुछ आदमी
आदमी के लाश हो जाने का
कर रहे थे इंतज़ार
और कुछ लाशें
लाशों के आदमी होने का

इसी बीच दिखा मुझे रोड पर
एक लड़का
बिल्कुल कम उम्र का पर
चलती हुई लाश जैसा
उसके हाथ में कूड़े वाली ट्राली थी
ट्राली में एक हाथ बाहर लटकाए लाश
एकदम उस लड़के के मुँह की तरह
 लटकी हुई
लाश शायद उसके माँ की थी

दाहगृहों में बहुत मामुली लोग थे
लोगों से ज़्यादा लाशें थीं
शायद ,
कुछ ही लाशें अपनों के हाथों
मुक्ति पा रही थीं

कितनी चिर - परिचित लाशें
मुझे अजनबी की तरह ताक रही थीं
कितनी लाशें पते पर पहुँच कर
लौट रही थीं वापस
पहचाने से इनकार कर दिया था
उनके अपनो ने शायद

जब लाशें लौट रही थीं
अपने-अपने गंतव्यों को
न उनके पीछे घंट थे न अर्थी पर फूल
न ही कोई कोलाहल
न ही ‘ राम नाम सत्य ’

मुक्तिधाम में बस कुछ कुत्ते
कर रहे थे इंतज़ार
कुछ आदमियों के चले जाने का

पूरी दुनिया एक लाश लग रही थी
उस समय

जब लाशें अनदेखी का हो रही थीं शिकार
एक चींटी एक चींटी की लाश कंधे पर लादे हुए
भागती दिखाई दी मुझे
मानो उसके कंधों पर पूरी मनुष्यता का भार हो ।