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"बिर्सेर जाऊँ कसरी आज माटो यो / नगेन्द्र थापा" के अवतरणों में अंतर
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− | बिर्सेर | + | बिर्सेर जाऊँ कसरी आज माटो यो |
भिजिसकेको छ मेरो आँशु | भिजिसकेको छ मेरो आँशु | ||
− | + | यही नै माटोमा, माटोमा | |
− | बिर्सेर | + | |
+ | बिर्सेर जाऊँ कसरी आज माटो यो | ||
− | माया कलिलो तिम्रो मेरो, हुर्की फुल्यो | + | माया कलिलो तिम्रो मेरो, हुर्की फुल्यो यही बतासमा |
− | माया बोकेर | + | माया बोकेर छाइदियो, यहीँ रङ्गिन बहारमा |
− | + | हाँसूँला भनेर, हाँसूँला भनेर | |
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− | + | बिर्सेर जाऊँ कसरी आज माटो यो | |
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+ | खोला किनारी चिसो अझै, हात समाई कुदेका छौँ | ||
+ | भत्केको छैन बना'को घर, सयौँ सपना साँचेका छौँ | ||
+ | बसौँला भनेर, बसौँला भनेर | ||
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+ | बिर्सेर जाऊँ कसरी आज माटो यो | ||
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शब्द: नगेन्द्र थापा | शब्द: नगेन्द्र थापा | ||
संगीत: नारायण गोपाल | संगीत: नारायण गोपाल | ||
स्वर: नारायण गोपाल | स्वर: नारायण गोपाल | ||
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19:27, 14 जून 2024 के समय का अवतरण
बिर्सेर जाऊँ कसरी आज माटो यो
भिजिसकेको छ मेरो आँशु
यही नै माटोमा, माटोमा
बिर्सेर जाऊँ कसरी आज माटो यो
माया कलिलो तिम्रो मेरो, हुर्की फुल्यो यही बतासमा
माया बोकेर छाइदियो, यहीँ रङ्गिन बहारमा
हाँसूँला भनेर, हाँसूँला भनेर
बिर्सेर जाऊँ कसरी आज माटो यो
खोला किनारी चिसो अझै, हात समाई कुदेका छौँ
भत्केको छैन बना'को घर, सयौँ सपना साँचेका छौँ
बसौँला भनेर, बसौँला भनेर
बिर्सेर जाऊँ कसरी आज माटो यो
........................
शब्द: नगेन्द्र थापा
संगीत: नारायण गोपाल
स्वर: नारायण गोपाल