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"हर कोई बस अपने लिए / पेरुमाल मुरुगन / मोहन वर्मा" के अवतरणों में अंतर

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05:00, 19 जून 2024 के समय का अवतरण

पेट और जीभ के अधीन हो
सहजन की फली तोड़ने
मैं पेड़ की शाख पर जा चढ़ा
वह कड़कड़ाई और
फूल और कोमल फलियों को साथ लिए
नीचे आ गिरी
उसका विलाप क्षणभर के लिए हुआ ।

ऊँचे ब्राण्ड के जूते पहन
जब मैं तेज़ी से चलता हूँ
चींटियाँ और अन्य कीड़े-मकोड़े
पाँव तले आकर कुचले जाते हैं
ज़रा भी आवाज़ नहीं होती ।

देर तलक लोरियाँ सुनाने के बाद
सोये हुए बालक को
आस-पास चलते लोगों की ऊँची आवाज़ें
हिचकोले मार उठा देती हैं
एक तीव्र चीख़ निकलती है ।

हर कोई अपना-अपना लक्ष्य लिए
अपनी राह चलता है
और कुछ भी तो नहीं किया जा सकता है ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : मोहन वर्मा