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"ख़ुद का भी जायज़ा लिया जाए / रवि सिन्हा" के अवतरणों में अंतर

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ख़ुद का भी जायज़ा लिया जाए
Ravi Sinha
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फिर ज़माने से कुछ कहा जाए
Jun 28, 2024, 5:02 PM (7 days ago)
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ख़ुद का भी जायज़ा लिया जाये
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फिर ज़माने से कुछ कहा जाये
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KHud ka bhii jaa.ezaa liyaa jaaye
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Phir zamaane se kuchh kahaa jaaye
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बूद गहरा है तेज़-रौ है हयात  
 
बूद गहरा है तेज़-रौ है हयात  
 
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आइए डूबकर बहा जाए
आइये डूबकर बहा जाये
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Buud gahraa hai tez-rau hai hayaat
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Aa.iye Duub kar bahaa jaaye
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ख़ुद में गहराइयाँ समेटे हूँ  
 
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किस बुलन्दी को अब चढ़ा जाए
किस बुलन्दी को अब चढ़ा जाये
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KHud me.n gahraa.iyaa.n sameTe huu.n
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Kis bulandii ko ab chaDHaa jaaye
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यूँ तो ख़ल्वत है बे-नियाज़ी है   
 
यूँ तो ख़ल्वत है बे-नियाज़ी है   
 
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शोर हर सम्त क्यूँ बढ़ा जाए
शोर हर सम्त क्यूँ बढ़ा जाये
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Yuu.n to KHalvat hai be-niyaazii hai
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Shor har samt kyuu.n baDHaa jaaye
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रौशनी तो ख़ला में भटके है
 
रौशनी तो ख़ला में भटके है
 
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और आलम ये फैलता जाए
और आलम ये फैलता जाये
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Raushnii to KHalaa me.n bhaTke hai
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Aur ‘aalam ye phailtaa jaaye
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हम हैं नाज़िर हमीं नज़ारा हैं  
 
हम हैं नाज़िर हमीं नज़ारा हैं  
 
 
दरमियाँ गर ख़ुदा न आ जाये  
 
दरमियाँ गर ख़ुदा न आ जाये  
  
Ham hai.n naazir hamii.n nazaaraa hai.n
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तुख़्म क्या बोइए क़दामत का  
 
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क्यूँ न जंगल को ही चला जा
Darmiyaa.n gar KHudaa na aa jaaye
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तुख़्म क्या बोइये क़दामत का  
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क्यूँ न जंगल को ही चला जाये 
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TuKHm kyaa bo.iye qadaamat kaa
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Kyuu.n na jangal ko hii chalaa jaaye
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शब्दार्थ :  
 
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13:58, 5 जुलाई 2024 के समय का अवतरण

ख़ुद का भी जायज़ा लिया जाए
फिर ज़माने से कुछ कहा जाए

बूद गहरा है तेज़-रौ है हयात
आइए डूबकर बहा जाए

ख़ुद में गहराइयाँ समेटे हूँ
किस बुलन्दी को अब चढ़ा जाए

यूँ तो ख़ल्वत है बे-नियाज़ी है
शोर हर सम्त क्यूँ बढ़ा जाए

रौशनी तो ख़ला में भटके है
और आलम ये फैलता जाए

हम हैं नाज़िर हमीं नज़ारा हैं
दरमियाँ गर ख़ुदा न आ जाये

तुख़्म क्या बोइए क़दामत का
क्यूँ न जंगल को ही चला जा



शब्दार्थ :

बूद – हस्ती, अस्तित्व (existence); तेज़-रौ – तेज़-रफ़्तार (swift); हयात – ज़िन्दगी (life); ख़ल्वत – एकान्त, अकेलापन (solitude); बे-नियाज़ी – उदासीनता, निस्पृहता (unconcern); सम्त – ओर, दिशा (direction); ख़ला – शून्य (space); आलम – ब्रह्माण्ड (universe); नाज़िर – दर्शक (spectator); नज़ारा – दृश्य (spectacle); तुख़्म – बीज (seed); क़दामत – प्राचीनता (antiquity)