भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"भीगना क्यों पसंद करते हैं बच्चे / राजेश अरोड़ा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजेश अरोड़ा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

20:28, 27 जुलाई 2024 के समय का अवतरण

कभी कभी मेरे शहर में भी बरसता है पानी
व्यर्थ ही भिगोता है

घर, दीवारें और सड़कें
भीगता है पूरा शहर
नहीं भीगते हैं तो
सिर्फ शहर में रहते लोग

हाँ! कुछ आवारा बच्चे निकल आते हैं सड़क पर
जब कभी मेरे शहर में बरसता है पानी

शीशे की दीवारों के पीछे खड़े लोग
देखते हैं बरसता हुआ पानी
और भीगते हुये बच्चे।

अक्सर सोचते रह जाते हैं लोग
भीगना क्यों पसन्द करते हैं बच्चे
वैसे शीशे के पार का पानी और बच्चे
उन्हें भी अच्छे लगते हैं

लेकिन ख़ुद भीगने का साहस
कभी नहीँ जुटा पाते हैं शहर में रहते लोग

हाँ , कभी कभी कोई फुहार
आ ही जाती है भीतर
फुहारों से भीगे शहर के लोग
घोषित करते हैं अपने को कला पारखी

जबकि पूरा भीगना क्या होता हैं
कभी नहीं जान सके थे वे

शीशे के घरों और पत्थरों की दीवारो वाले शहर में
क्यों बरसता है पानी

और भिगो जाता है
कुछ आवारा बच्चों को
उम्र भर भीगने का अभिशाप दीये।