भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पहाड़ और दु:ख / महेश कुमार केशरी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=महेश कुमार केशरी |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

23:29, 28 जुलाई 2024 के समय का अवतरण

दु:ख पहाड़ सा बड़ा
होता है !
इतिहास की बात है
पहाड़ पर एक आदमी चढ़ रहा था
चलते हुए उसके घुटने फूल गये
पाँव सूज गये..
आदमी को तब लगा कि दु:ख
पहाड जितना बड़ा होता है
लेकिन
जब आदमी पहाड़ पर
चढ़ गया और
उसका नाम पहाड़ पर
चढ़ने वाले पहले व्यक्ति
के तौर पर दर्ज किया
इतिहास ने
तब आदमी को लगा कि
हौसलों के आगे
दु:ख बित्ते भर का था