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"प्रार्थना : गुरु कबीरदास के लिए / विजयदेव नारायण साही" के अवतरणों में अंतर

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परम गुरु
 
परम गुरु
 
दो तो ऐसी विनम्रता दो
 
दो तो ऐसी विनम्रता दो
कि अंतहीन सहानुभूति की वाणी बोल सकूँ
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कि अन्तहीन सहानुभूति की वाणी बोल सकूँ
और यह अंतहीन सहानुभूति
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और यह अन्तहीन सहानुभूति
पाखंड लगे।
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पाखण्ड लगे ।
  
 
दो तो ऐसा कलेजा दो
 
दो तो ऐसा कलेजा दो
कि अपमान, महत्वाकांक्षा और भूख
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कि अपमान, महत्वाकाँक्षा और भूख
 
की गाँठों में मरोड़े हुए
 
की गाँठों में मरोड़े हुए
 
उन लोगों का माथा सहला सकूँ
 
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और इसका डर न लगे
 
और इसका डर न लगे
कि कोई हाथ ही काट खाएगा।
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कि कोई हाथ ही काट खाएगा ।
  
 
दो तो ऐसी निरीहता दो
 
दो तो ऐसी निरीहता दो
कि इसे दहाड़ते आतंक बीच
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फटकार कर सच बोल सकूँ
 
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और इसकी चिन्ता न हो
 
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कि इसे बहुमुखी युद्ध में
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मेरे सच का इस्तेमाल
 
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कौन अपने पक्ष में करेगा।
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कौन अपने पक्ष में करेगा ।
  
 
यह भी न दो
 
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तो इतना ही दो
 
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कि बिना मरे चुप रह सकूँ।
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कि बिना मरे चुप रह सकूँ ।
 
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16:37, 2 अगस्त 2024 के समय का अवतरण

परम गुरु
दो तो ऐसी विनम्रता दो
कि अन्तहीन सहानुभूति की वाणी बोल सकूँ
और यह अन्तहीन सहानुभूति
पाखण्ड न लगे ।

दो तो ऐसा कलेजा दो
कि अपमान, महत्वाकाँक्षा और भूख
की गाँठों में मरोड़े हुए
उन लोगों का माथा सहला सकूँ
और इसका डर न लगे
कि कोई हाथ ही काट खाएगा ।

दो तो ऐसी निरीहता दो
कि इसे दहाड़ते आतंक के बीच
फटकार कर सच बोल सकूँ
और इसकी चिन्ता न हो
कि इस बहुमुखी युद्ध में
मेरे सच का इस्तेमाल
कौन अपने पक्ष में करेगा ।

यह भी न दो
तो इतना ही दो
कि बिना मरे चुप रह सकूँ ।