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"स्वयं के संग जी लो / अरुणिमा अरुण कमल" के अवतरणों में अंतर

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23:58, 14 अगस्त 2024 के समय का अवतरण

कितना तराश लिया स्वयं को
माँज माँजकर जो चमक लायी है
आसान नहीं थी
लेकिन चमक क्या तुम में पहले कहीं कम थी?
तुम ही हम सबकी प्रेरणा, तुम ही जीवन थी
फिर तराशने की आवश्यकता क्यों पड़ी?
कब तक किसी और की कहानी की किरदार बन जिओगी
दूसरे की आँखों से स्वयं को निहारती रहोगी
मत गिनो अपनी कमज़ोरियाँ
कुछ फ़र्क़ नहीं पड़ता जो किसी ने नाक भौं सिकोड़ लिया
रहम खाओ अपने दिल पर
जिसने अपने लिए कितने ही सपने पाल रखे हैं
झांकना थोड़ा छालों के भीतर गुलाल लाल रखे हैं
छेड़ दो छालों को मवाद बह जाने दो
अपनी कर्मठ हथेली की थिरकती उँगलियों से
उड़ा दो गुलाल को
रंग लो अपना जीवन अपने रंग में
कुछ तो पल बचा लो जीने के लिए स्वयं के संग में