भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"जिन्हें माँ की याद नहीं आती / प्रभात" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रभात |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poe...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
16:46, 31 अगस्त 2024 के समय का अवतरण
जिन्हें माँ की याद नहीं आती
उन्हें माँ की जगह किसकी याद आती है ?
जिन्हें बहन की याद नहीं आती
उन्हें बहन की जगह किसकी याद आती है ?
याद नहीं आती जिन अभागों को अपने बाबा की
उन्हें बाबा की जगह किसकी याद आती है ?
बाज़ार
हिंसा
सताने वाली व्यवस्था
याद ही को नष्ट कर दे
अभी मैं मानने को तैयार नहीं इसे
यही है वजह
मैं पूछता हूँ सबसे सब जगह
जिन्हें अपने गांव की याद नहीं आती
उन्हें गांव की जगह किसकी याद आती है ?